घुघरदेव महादेव (Ghughar Dev Mahadev Temple) गुजरात के दाहोद (Dahod Gujarat) जिले के झालोद तालुका के चकलिया में अपार प्राकृतिक सौंदर्य के बीच विराजमान हैं। मान्यता के अनुसार गुजरात के दाहोद (Dahod Gujarat) जिले का यह क्षेत्र हेडम्बा वन (Hidimba Van) के नाम से जाना जाता था। द्वापर युग में जुए में सब कुछ हारने के बाद पांडवों को 14 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास भोगना पड़ा। उस समय पांडव (Pandav) इस हेडम्बा वन (Hidimba Van) में आए थे। पांडवों ने इस विशाल गुफा में शरण ली थी और भगवान शिव के अनन्य भक्त होने के कारण वे नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करते थे।
इस गुफा में शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी। कहा जाता है कि माता कुंती मंत्रोच्चारण करके यहीं प्रकट हुई थीं और इसके जल से भगवान शिव को स्नान कराया था। इस तालाब में बारह महीने पानी रहता है। दूर-दूर से आने वाले भक्त पहले इस वाव में अपने हाथ-पैर धोते हैं और फिर भोलेनाथ के दर्शन करते हैं।
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प्राकृतिक सौंदर्य के बीच विराजमान भगवान भोलानाथ के साथ गणेश, ब्रह्माजी, विष्णु, महेश और अंबाजी विराजमान हैं। कहा जाता है कि मां अम्बा के मंदिर में दीवार पर बाघ पर सवार माताजी की मूर्ति है, इस स्वंभू मूर्ति के दर्शन कर भक्त धन्य हो जाते हैं।
यह पवित्र मंदिर पूरे वर्ष शिवरात्रि और इमली अगियारस के भव्य मेलों का आयोजन करता है, जबकि शिव के प्रिय श्रावण के दौरान हजारों भावी भक्त इस मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं।
सभी भक्त भोलेनाथ का जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक के साथ बिलिपत्र के साथ आस्था के साथ शिव पूजन करते हैं। महादेवन भी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं, जो भी यहां आस्था रखता है भगवान भोलानाथ उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
गुजरात के दाहोद (Dahod Gujarat) जिले के मंदिर के आसपास का क्षेत्र आदिवासियों द्वारा बसा हुआ है। स्थानीय आदिवासी शिवाजी के दर्शन के लिए गुफा तक जाने के लिए लकड़ी की सीढ़ियों का इस्तेमाल करते थे। समय के साथ इस गुफा में भक्तों द्वारा सीढ़ियाँ बनाई गईं, इस प्रकार घुघरदेव महादेव का यह धाम न केवल प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाता है बल्कि भक्तों के मन में आस्था का दीप भी जलाता है।
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