Dhanteras Puja Vidhi: हिन्दू धर्म में धनतेरस का महत्त्व ज्यादा है. धनतेरस इस साल 23 अक्टूबर रविवार को है. धनतेरस के दिन भगवान धन्ंवतरि की पूजा करनेकी महिमा है. भगवान धन्ंवतरि की पूजा करने से सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते है साथ ही आरोग्य सुखाकरी भी प्राप्त होती है. भगवान धन्वंतरि की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती हे. भगवान धन्वंतरि की धनतेरस के दिन पूजा करने से भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. तो आइए जानते है भगवान धन्वंतरि की धनतेरस (Dhanteras Puja Vidhi) के दिन कैसे पूजा करे
Dhanteras Puja Vidhi Samagri listकपूर
- केसर
- यज्ञोपवीत
- कुमकुम, अबीर और गुलाल, सिंदूर
- धान्य (चावल और गेहूं)
- हल्दी और हल्दी की गांठ
- मेहंदी
- काजल और चूड़ी
- पायजेब
- बिछुड़
- रोली
- सुपारी और पान का पत्ता
- फूल-माला
- कमलगट्टे
- धनिया खड़ा
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य
- कुश
- दूर्वा
- पंच मेवा
- गंगाजल और शहद
- शक्कर
- शुद्ध घी
- दही – दूध
- फल
- नैवेद्य अथवा मिष्ठान
- छोटी इलायची और लौंग
- मौली
- इत्र
- तुलसी
- चौकी
- आसन
- पंच पल्लव (पीपल, बड़, गूलर, आम और पाकर के पत्ते)
- चांदी सिक्का
- वस्त्र
- सफेद और लाल कपड़ा
- दीपक
- श्रीफल (नारियल)
- कलम | पैन
Dhanteras Puja Vidhi | धनतेरस 2022 पूजा विधि
किसी भी आध्यात्मिक शुभ कार्य मे हमेशा सुबह जल्दी उठकर स्नान करे और घर की साफ सफाई करे. सबसे पहले पूजा मे भगवान श्री गणेश का आवाहन और पूजन करें. फिर षोडशोपचार विधि से भगवान श्री धनवंतरी और साथ साथ मां लक्षमी की पूजा करें. पूजा में भगवान श्री धनवंतरी और मां लक्ष्मी को फूल, अक्षत, धूप, दीप, भोग अर्पित करें. इसके बाद देवी-देवताओं की आरती करे और नैवध या प्रसाद अर्पित करे. इसके अलावा शाम के समय प्रदोष काल में घर के मुख्य द्वार पर दीया जलाएं और धन्वंतरि देव, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश से सुख-समृद्धि की कामना करें.
Dhanvantari Dev ke Mantra | धन्वंतरि देव के मंत्र
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः
ॐ धन्वंतरये नमः
ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमय
विनाशनाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णुवे नम:
ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्
ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. न्यूजअस्मिता इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
यह भी पढ़े: Ekadashi kab ki hai : एकादशी क्या है और कब हे ?