अमेरिका ने भारत से किया अपना वादा निभाया. अमेरिकी सरकार ने दोनों देशों के बीच जेट इंजन तकनीक(Jet Engine Technology) हस्तांतरित करने के समझौते के तहत एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अमेरिका दौरे पर थे तो दोनों देशों के बीच एक अहम डील हुई थी. इस डील के तहत जेट इंजन के उत्पादन की तकनीक को भारत के साथ साझा करने का फैसला किया गया था, अब संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राज्य अमेरिका की संसद में इस तकनीक की सहमति से संबंधित सर्कुलर की घोषणा की है।
एलसीए मार्क-11 विमान(LCA Mark-11 aircraft) बनाने वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(Hindustan Aeronautics Limited)भारत को यह तकनीक उपलब्ध कराएगी। इस सर्कुलर के बाद अब अमेरिकी तकनीक की मदद से भारत में जीई-एफ414 जेट इंजन(GE-F414 engine) तेजी से बनाया जा सकेगा। 22 जून को भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(HAL)और अमेरिका की GE Aerospace Company के बीच डील हुई. निर्मित होने वाले GEF-414 इंजन का उपयोग डीआरडीओ/DRDO (Defence Research and Development Organisation) की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा किया जाएगा।
भारत सरकार ने अभी तक इस डील को लेकर आधिकारिक जानकारी नहीं दी है. माना जा रहा है कि एलसीए मार्क-2 का प्रोटोटाइप 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में विकसित किया जा सकता है। आने वाले दिनों में भारत में आधुनिक जेट इंजनों के विकास से पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन के पेट में तेल भरना तय है।